देश में कोरोना महामारी के प्रसार के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरे तब्लीगी जमात को मीडिया द्वारा कठघरे में खड़े करना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। दोनों ही दलों ने मीडिया के इस रुख पर नाराजगी जताई है। साथ ही तब्लीगी जमात का बचाव करते हुए कार्यक्रम के आयोजन को लेकर दिल्ली सरकार पर ही सवाल उठाए हैं।
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली के मरकज की घटना का उल्लेख करते हुए सवाल उठाया है कि क्या हजरत निजामुद्दीन मरकज की घटना को खबरों में बार-बार दिखाना जरूरी है? सोमवार को पवार फेसबुक लाइव के जरिए राज्य के लोगों को संबोधित कर रहे थे। खासतौर से टीवी समाचार चैनलों की ओर इशारा करते हुए पवार ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार ने सावधानी बरती होती, तो समाचार चैनलों को एक वर्ग विशेष के बारे में ऐसी छवि प्रस्तुत करने का मौका न मिलता। पवार का मानना है कि देश में कोरोना का बढ़ता प्रभाव देखते हुए दिल्ली सरकार को हजरत निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी, जैसे महाराष्ट्र सरकार ने जमात के कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी थी।
पवार का कहना है कि अब यदि यह घटना हो भी गई है, तो इसे रोज-रोज दिखाने की जरूरत है क्या? ऐसा करके आप किस तरह की परिस्थिति का निर्माण कर रहे हैं, इसका विचार करने की जरूरत है। पवार ने सलाह दी है कि हमें इस बात की चिंता करनी चाहिए कि समाज में कटुता बढ़ने के बजाय सामाजिक सौहार्द्र किस तरह बढ़े। इसके साथ ही पवार ने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे जहरीले संदेशों पर भी नाराजगी जाहिर की है।
वहीं, महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता व पूर्व राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने भी तब्लीगी जमात के खिलाफ चल रही खबरों पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि बेवजह एक संगठन को निशाना बनाकर मुस्लिमों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने खुलकर जमात का पक्ष लेते हुए कहा कि तब्लीगी जमात ने कभी देश विरोधी काम नहीं किया है।