मुंबई
यूपी के मुरादाबाद जिले में स्वास्थ्यकर्मियों पर भीड़ के हमले की घटना को गीतकार जावेद अख्तर ने शर्मनाक बताया है। जावेद अख्तर ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिए कहा है कि मुरादाबाद में जो भी हुआ, वह बेहद शर्मनाक है और कोई ऐसे लोगों पर हमला कैसे कर सकता है जो उनकी जान बचाने के लिए उनके घर गए हों। जावेद अख्तर का यह ट्वीट फिल्मकार अशोक पंडित (Ashok Pandit and Javed Akhtar) और उनके बीच शुक्रवार को हुई बहस के बाद आया है।
बीएमसी की तारीफ के बाद छिड़ी बहस
दरअसल, जावेद अख्तर ने शुक्रवार को मुंबई में कोरोना के प्रयासों को लेकर बीएमसी के अधिकारियों की तारीफ की थी। शुक्रवार को जावेद अख्तर (Jawed Akhtar Tweet) ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'मुंबई बीएमसी को सलाम. इन्होंने पूरे देश में सभी राज्यों में सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट किए हैं। सबसे अधिक टेस्ट के कारण ही सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों का पता चला जिन्हें इलाज के लिए फौरन भेज दिया गया है। ये कोरोना से लड़ने और उसे हराने के लिए सबसे ज्यादा असरदार है। धन्यवाद बीएमसी।'
अशोक पंडित ने लगाया था चुप्पी साधने का आरोप
इस ट्वीट के बाद फिल्मकार अशोक पंडित ने जावेद अख्तर पर मुरादाबाद में मेडिकल टीम पर (Moradabad Medical Team Attack) हुए हमले की घटना पर चुप रहने का आरोप लगाया। अशोक पंडित ने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया, जिसपर बहस शुरू हो गई।
उठे थे सवाल
अशोक पंडित ने ट्वीट किया, 'सर बीएमसी के द्वारा किए गए कार्य पर आपके धन्यवाद देने की मैं सराहना करता हूं लेकिन तब्लीगी जमात का क्या, मैं इंतजार कर रहा हूं कि आप निंदा कब करेंगे, मुझे पता है कि आपने मुरादाबाद के विजुअल्स देखे होंगे। इस तरह के हमले पर चुप्पी क्यों?
जावेद अख्तर ने कहा- सीधी बात कीजिए
अशोक पंडित के इस सवाल पर जावेद अख्तर ने जवाब देते हुए ट्वीट किया, 'अशोक जी सीधी बात कीजिए। क्या आप जो मुझे बरसों से जानते हैं सोचते हैं मैं कम्युनल हूं। कोई और पूछता तो पूछता, आप जो मेरे दोस्त है क्या आप नहीं जानते कि मेरा तबलीगी जमात जैसी हर संस्था चाहे मुस्लिम हो या हिंदू के बारे में क्या सोचना है।' जावेद अख्तर को दोबारा अशोक पंडित ने जवाब देते हुए ट्वीट किया, सर मैं आपको जानता हूं और आपकी दिल से इज्जत भी करता हूं और इसलिए हैरान हूं कि आपने अब तबलीगी जमात को पब्लिकली क्यों नहीं लताड़ा। गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठाना तो आप से ही सीखा है। इन आतंकवादियों पर आपकी खामोशी थोड़ी बहुत खल गई।